Sunday

बड़ी हो गई हूँ.....

एक और परत…

आ गई है मुझ पर...

मैं और सयानी हुई हूँ.....

आज माँ तेरी बेटी मैं...

और बड़ी हो गई हूँ.....


तूने पकड़ा था झूठ मेरा...

अब तो सयानी हो गई हूँ....

खुद से भी बोलूँ जो झूठ...

पकड़ नहीं पाती हूँ....

आज माँ तेरी बेटी मैं...

और बड़ी हो गई हूँ.....



इतने परतों के नीचे...

कैसे ढूँढेगी मुझको.....??

बस आँखो से झाँकोगी तो..

झलक दिखेगी शायद...

बाकी तो अब मैं …

बहुत बदल बदल सी गई हूँ..

आज माँ तेरी बेटी मैं...

और बड़ी हो गई हूँ.....



रात में जब सोया करती हूँ...

सपने वही आते हैं....

पापा अब भी मेले से....

खिलौने ले आते हैं....

तेरी खुशबू से माँ अब...

दूर बहुत हो गई हूँ....

आज माँ तेरी बेटी मैं...

और बड़ी हो गई हूँ.....



आँचल के कोने पर बच्चे..

लटक झटक कर दौडे…

आईने में देखा खुद को....

लगा तुझको देखा हो....

अब तो मैं भी माँ बिल्कुल...

तेरी जैसी हो गई हूँ....

आज माँ तेरी बेटी मैं...

और बड़ी हो गई हूँ.....

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