क्षणिक सी जिंदगी...
और लंबा सा सफर....
और इस सफर में....
अनगिनत भटकाव रूपी मोड़...
और गुमराह करने वाले कई पथिक...
भला इंसान अपनी मंजिल तक पहुँचे तो कैसे पहुँचे ?
मन के भटकाव को रोकने का जो तरीका अभी तक मुझे समझ में आया है...
उसके अनुसार... अपने आपको व्यस्त कर दो और शामिल हो जाओ दुनिया की भागदौड़ की भेड़चाल में !
हलाँकि शांति तो वहाँ भी नहीं मिलेगी, पर मन की गति जरूर कुछ हद तक सीमित हो जा सकती है, बाकी तो सबका अंतिम गति एक ही है !!
आजकल कुछ लोग तो विश्वास में लेकर भी विश्वासघात कर बैठते है, वहीं दूसरी और कुछ (मूर्ख) लोग बेवजह भी किसी से उम्मीदे पाल लेते हैं !!
और लंबा सा सफर....
और इस सफर में....
अनगिनत भटकाव रूपी मोड़...
और गुमराह करने वाले कई पथिक...
भला इंसान अपनी मंजिल तक पहुँचे तो कैसे पहुँचे ?
मन के भटकाव को रोकने का जो तरीका अभी तक मुझे समझ में आया है...
उसके अनुसार... अपने आपको व्यस्त कर दो और शामिल हो जाओ दुनिया की भागदौड़ की भेड़चाल में !
हलाँकि शांति तो वहाँ भी नहीं मिलेगी, पर मन की गति जरूर कुछ हद तक सीमित हो जा सकती है, बाकी तो सबका अंतिम गति एक ही है !!
आजकल कुछ लोग तो विश्वास में लेकर भी विश्वासघात कर बैठते है, वहीं दूसरी और कुछ (मूर्ख) लोग बेवजह भी किसी से उम्मीदे पाल लेते हैं !!
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